राजस्थान में कांग्रेस सरकार पर संकट से मंडराते बादल छंटते हुए नजर आ रहे हैं. सीएम अशोक गहलोत ने बेहद चतुराई का परिचय देते हुए एक ही दांव में फर्जी चाणक्य को मात दे दी है. सरकार को अस्थिर होता देख फर्जी चाणक्य ने इनकम टैक्स और ईडी का सहारा लेते हुए आज सुबह से ही अशोक गहलोत के करीबियों पर छापेमारी करवाई लेकिन अंततः जीत गहलोत की ही हुई. कुछ दिनों पहले हुए राज्यसभा चुनाव में भी चाणक्य ने बहुत तिकड़म लगाई लेकिन गहलोत ने उनकी एक न चलने दी.
इसी के साथ ही सचिन पायलट भी बुरे फंस गए हैं. सचिन पायलट जिन 30 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहे थें, पता नहीं वो कहां चले गए ? अशोक गहलोत के निवास पर हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में 105 विधायक मौजूद रहें जबकि राजस्थान में बहुमत के लिए 101 के आंकड़े की जरुरत होती है.
गहलोत ने दिखाई बाजीगरी
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत राजनीति के पुराने खिलाड़ी माने जाते हैं. सचिन पायलट वैसे भी कांग्रेस में राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री माने जाते थें लेकिन उन्होंने अपनी मिट्टी खुद से पलीद कर ली. सिंधिया बनने के चक्कर में वो अब शायद अब कहीं के नहीं रहेंगे क्योंकि गहलोत ने अपनी सरकार तो बचा ली है और नेतृत्व के सामने अपनी राजनीतिक कुशलता का लोहा मनवा लिया है.
सचिन पायलट का दांव पेंच फेल
सचिन पायलट को शायद ये एहसास हुआ होगा कि वो भी अपने पुराने मित्र ज्योतिरादित्स सिंधिया के नक्शेकदम पर चल कर राजस्थान में गहलोत को हिला देंगे और इसके इनाम में भाजपा उन्हें राज्यसभा की सीट और केंद्र में मंत्री का पद दे देंगे लेकिन हो गया उल्टा. अब तो लगता है कि सचिन कहीं के नहीं रहेंगे. हालांकि कांग्रेस आलाकमान अब भी सचिन पायलट को अपने साथ रखने को ही इच्छुक है लेकिन अब अगली मर्जी सचिन पायलट की खुद की होगी.