कांग्रेस का सचमुच वक्त खराब चल रहा है और कहते हैं न कि जब वक्त खराब होता है तो अपने भी साथ छोड़ जाते हैं. कांग्रेस के बहुतेरे समर्थक मानते थें कि राहुल गांधी की जगह ज्योतिरादित्य सिंधिया या सचिन पायलट को अध्यक्ष बना दिया जाना चाहिए.
उम्मीद की जा सकती है कि ऐसी सलाह देने वाले लोग अब पश्चाताप कर रहे होंगे. सबको पता था कि मध्यप्रदेश में भविष्य ज्योतिरादित्य सिंधिया और राजस्थान में सचिन पायलट का है लेकिन हड़बड़ी का काम शैतान वाली उक्ति यहां चरितार्थ हो गई. सिंधिया और पायलट कांग्रेस से दूर हो गए लेकिन भाजपा में जाकर उनको हासिल क्या हो जाएगा, ये हम आप सब जानते हैं.
सिंधिया और पायलट को कांग्रेस ने क्या नहीं दिया ?
ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस ने सांसद बनाया, केंद्र सरकार में मंत्री बनाया. मध्य प्रदेश चुनाव अभियान समिति का चेयरमैन बनाया. राष्ट्रीय महासचिव बनाया तो वहीं सचिन पायलट को भी सांसद, केंद्रीय मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री बना दिया.
इतना सब मिलने के बाद भी वो खुद को अपमानित बताते रहें. सिंधिया और पायलट को कभी कांग्रेस के उन होनहार कार्यकर्ताओं का ख्याल नहीं आया जो पैरवी या पुरखों क विरासत के बिना ही राजनीति के बियाबान में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. गांव, गलियों से लेकर देश की राजधानी से प्रदेश की राजधानी तक भटकते चल रहे हैं.
अगर सिंधिया स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के सुपुत्र न होते और पायलट स्वर्गीय राजेश पायलट के पुत्र न होते तो वो कितना संघर्ष कर रहे होते ! बिना संघर्ष के इतना सब कुछ पा लेने की वजह से ही शायद वो इन सब का मोल नहीं समझ पाएं.
भाजपा में जाकर मिलेगा क्या ?
सिंधिया को सीएम बनना था मध्यप्रदेश का और पायलट को सीएम बनना था राजस्थान का. हालांकि पायलट अभी भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो देर सबेर भाजपा का भगवा झंडा अंगीकार कर लेंगे. जैसे हेमंत बिस्वा सरमा असम के सीएम बन गए, राव इंद्रजीत सिंह हरियाणा के सीएम बन गए, विजय बहुगुणा उत्तराखंड के सीएम बन गए, वैसे ही सिंधिया जी मध्यप्रदेश के सीएम बन जाएंगे और पायलट राजस्थान के.
खैर हम स्वर्गीय माधवराव सिंधिया जी और स्वर्गीय राजेश पायलट को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कामना करेंगे कि दोनों सम्मानित नेताओं के सुपुत्र भी भविष्य में सीएम बन जाएं.