राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम और बागी कांग्रेस नेता सचिन पायलट टोंक विधानसभा सीट से विधायक हैं. इस सीट का गणित ऐसा है कि अगर वो कांग्रेस छोड़ देते हैं तो उनका विधानसभा पहुंचना भी कठिन हो सकता है. अगर सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तो निश्चित तौर पर उनकी विधानसभा की सदस्यता चली जाएगी और उनहें उपचुनाव लड़ना होगा.
टोंक विधानसभा क्षेत्र का समीकरण
टोंक विधानसभा क्षेत्र राजस्थान का एक ऐसा विधानसभा क्षेत्र है जिसे मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 75 हजार के करीब है. इसके साथ ही 80 हजार एससी, एसटी मतदाता हैं. सचिन पायलट के सजातीय गुर्जर मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार के आसपास है. इसके साथ ही करीब 20 हजार वोट सीएम अशोक गहलोत के स्वजातीय माली समुदाय का है.
एससी, एसटी, मुस्लिम, माली कांग्रेस के साथ
इस क्षेत्र में ऐसा पहली बार हुआ था कि सचिन पायलट के लिए कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा क्योंकि उन्हें जीतने के लिए सुरक्षित सीट की जरुरत थी. मुस्लिम, गुर्जर, माली और एससी एसटी मतदाताओं के एक साथ आने की वजह से सचिन पायलट को बड़ी जीत मिल गई थी लेकिन एक बात याद रहे कि ये तमाम वोट किसी व्यक्ति को नहीं बल्कि पार्टी को वोट करते हैं. ऐसी स्थिति में अगर पायलट टोंक विधानसभा सीट से किसी दूसरी पार्टी के टिकट पर उपचुनाव लड़ते हैं तो उन्हें बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ जाएगा.
राहुल गांधी के कहने पर लड़े थें चुनाव
सचिन पायलट ने यह खुद स्वीकार किया था कि हम टोंक से चुनाव लड़ने की मेरी कोई योजना नहीं थी बल्कि राहुल गांधी का आदेश था कि मैं इस क्षेत्र से चुनाव लडूं. 2018 के विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट को इस विधानसभा क्षेत्र से कुल 1लाख 10 हजार वोट मिले थें जबकि उनके विरोधी प्रत्याशी रहे भाजपा के यूनूस खान को महज 55 हजार वोट ही मिले थें.