बिहार में एनडीए की नई सरकार का रास्ता साफ हो चुका है. नीतीश कुमार का सीएम बनना तय है और वहीं बात करें भाजपा की तो भाजपा कोटे से कटिहार विधायक तारकिशोर प्रसाद और बेतिया विधायक रेणु देवी का डिप्टी सीएम बनना तय माना जा रहा है. नई सरकार के गठन के इस प्रारुप को देखकर बिहार की सवर्ण जातियों में बेहद निराशा का माहौल छाया हुआ है. गांव गांव में सवर्ण जातियों के बीच इस बात की चर्चा आम हो चुकी है कि भाजपा क्या सवर्णों या उंची जात वालों को अपना गुलाम समझती है जो उन्हें सत्ता में भागीदारी से लगातार 15 सालों से वंचित किया जा रहा है.
सीएम, डिप्टी सीएम सभी पिछड़े
बताते चलें कि बिहार में पिछले 15 से 20 सालों से फॉरवर्ड यानी उंची जाति के लोग लालू प्रसाद के विरोध में लगातार अपना एकमुश्त वोट एनडीए को देते आ रहे हैं, विशेष तौर पर भाजपा को लेकिन भाजपा पता नहीं क्यों, उन्हें लगातार सत्ता से वंचित रखना चाहती है. बात करें बिहार भाजपा की तो प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल वैश्य हैं. अब तक डिप्टी सीएम रहें सुशील मोदी भी वैश्य हैं. इसके अलावा नए डिप्टी सीएम बनने जा रहे तारकिशोर प्रसाद भी पिछड़े वैश्य वर्ग से आते हैं जबकि रेणु देवी अतिपिछड़ा वर्ग से आती हैं.
सवर्ण जातियों के लिए लॉलीपॉप
वहीं नई सरकार में डॉ प्रेम कुमार, अशोक चौधरी, विजेंद्र यादव, नरेंद्र नारायण यादव जैसे पिछड़े और दलित वर्ग के चेहरों की भरमार होगी, वहीं कयास तो यह लगाए जा रहे हैं कि पूर्व सीएम जीतन राम मांझी को स्पीकर बनाया जा सकता है. मांझी भी महादलित वर्ग से आते हैं. सोशल मीडिया पर इस मामले को लेकर सवर्ण समुदाय के युवा लगातार अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे हैं. विदित हो कि बिहार में सवर्ण समुदाय का आशय ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत एवं कायस्थ समाज से हैं, जिनकी आबादी पूरे बिहार का लगभग 20 प्रतिशत है. नई सरकार को इस निराशा से भी निपटना होगा अन्यथा तेजस्वी यादव तो लट्ठ लेकर सरकार के पीछे तो खड़े हैं ही ! वैसे भी इस बार बड़ी तादाद में राजद के टिकट पर फॉरवर्ड जाति के विधायक जीत कर आ गए हैं, ऐसे में तेजस्वी के लिए नई पिच पर बैटिंग में ज्यादा मुश्किलें नहीं आएंगी.